कल का दिन बहुत भारी गया ......रेडियो ...टीवी ......फेस-बुक ....ट्विटर ....ब्लॉग ...सब जगह एक ही चर्चा .....
'नारी तू महान है ......धीरज और प्रेम में तू धरती के समान है ....शक्ति
...नहीं ...नहीं महाशक्ति का अवतार है तू ......तुझ बिन संसार नहीं
........तू ममता
का डेरा है '............और भी न जाने क्या-क्या ..
रात होते-होते तक मुझे पक्का विशवास होने लगा था कि
और थोड़ी देर में सब मुझे देवी की जगह प्रतिस्थापित करके ही दम लेगें ...सच
कहूँ ...बहुत डर गयी थी मैं .....कीमती वस्त्र-आभूषण ....फल,मेवा,मिष्ठान
के भरे भण्डार ......धन-संपदा से लबालब कोष .....पर ....फिर मुझे भी तो
पत्थर बन कर रहना पड़ेगा .....मूक और बधिर बन कर ...सब कुछ मेरे नाम ...मेरे
लिए ......लेकिन मेरा कुछ भी नहीं ......
और फिर एक दिन जब सबका जी भर जाएगा ...ढ़ोल बजाते ...नाचते-गाते मुझे विसर्जित कर आयेगें .....किसी और को देवी के रूप में स्थापित करने के लिए .....
क्या मेरा डरना गलत था ???