एक कविता लिखनी है...
शब्द ...गहरे अर्थों वाले
भाव ...कुछ मनचले से
श्वास भर समीर ......चंचल महकी
सफेद चंपा ......कुछ पत्तियाँ पीली
एक राग मल्हार
एक पूस की रात
घास ...तितलियाँ
बत्तख ...मछलियाँ
फूलों के रंग ...वसंत का मन
तड़प ...थोड़ी चुभन
स्मृति की धडकन
एक माचिस आग
एक मुठ्ठी राख
एक टुकड़ा धूप
चाँद का रुपहला रूप
सब बाँधा है आँचल में
और हाँ ...एक सितारा
बस एक ...अपने नाम का
टाँका है अपने गगन में
रुको ! कुछ स्वार्थ भी भर लूँ
.....संवेदना के भीतर
एक कविता जो लिखनी है मुझे ...
अपने ऊपर-
वाह बहुत खूब ...शब्दों का ये साथ यूँ ही बना रहें
ReplyDeleteवाह !!! बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
शब्द से शब्द मिलकर भाव को गति देता है गति बनता रहे
ReplyDeleteनई पोस्ट साधू या शैतान
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आखिर लिखी गयी कविता .... बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर सृजन भावों का .
ReplyDeleteआपके मन के भीतर कितना अपरिमित सौन्दर्य छिपा है न..अब तो सारा जहाँ जान गया...
ReplyDeleteसुन्दर सृजन शब्द से शब्द मिलकर लिखी गयी कविता ,,,,वाह
ReplyDeletekavita ki reciepi achchhi lagi :)
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसुन्दर उपमा एवं अलंकारों से सुसज्जित कविता .. कविता तो आप लिख चुकि, लिखना बाकी नहीं है..
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण, शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteवाह...तब तो यकीनन कविता दिल में उतर जाएगी ...!
ReplyDeleteखूबसूरत कविता होने वाली है ये ... बहुत ही भावपूर्ण ...
ReplyDeleteबेजोड़ काव्य रचना ..... बहुत सुंदर
ReplyDeletekuchh alag si kavita bhawon se praripurn ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
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ReplyDeleteबहुत सुंदर और उम्दा अभिव्यक्ति...बधाई...
ReplyDeletebehad khoob ..behatarin
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