लौ को बचाने की जुगत में
ढीठ हवाओं से जूझ रहे थे
.....कुछ मासूम दिये
जाने कब ...अचानक
मनचली हवाओं ने लहरा कर
......तीली और बारूद
उड़ा दी....रोशनी की सारी कतरनें
अब रह गया है शेष .....
चीख .....धुंआ
बेबसी के टुकड़े
और नमकीन आँखों में
बुझी चिंगारियों की राख
हवाओं पे मचलता
नेपथ्य का संगीत
आज भी गुनगुनाता है
वही पुराना ख़ुशनुमा गीत
फिर भी जाने क्यूँ ...
मायने ....बदले से लगते हैं
ख़ुशी की जगह अब
चिपक गये हैं अर्थ ....घावों पर
...नमक की तरह
अनवरत ...अबाधित
अपनी सुविधा से
बही जा रही हैं ....
हवाओं को नहीं होता सरोकार
दिये की मासूमियत से
ढीठ हवाओं से जूझ रहे थे
.....कुछ मासूम दिये
जाने कब ...अचानक
मनचली हवाओं ने लहरा कर
......तीली और बारूद
उड़ा दी....रोशनी की सारी कतरनें
अब रह गया है शेष .....
चीख .....धुंआ
बेबसी के टुकड़े
और नमकीन आँखों में
बुझी चिंगारियों की राख
हवाओं पे मचलता
नेपथ्य का संगीत
आज भी गुनगुनाता है
वही पुराना ख़ुशनुमा गीत
फिर भी जाने क्यूँ ...
मायने ....बदले से लगते हैं
ख़ुशी की जगह अब
चिपक गये हैं अर्थ ....घावों पर
...नमक की तरह
अनवरत ...अबाधित
अपनी सुविधा से
बही जा रही हैं ....
हवाओं को नहीं होता सरोकार
दिये की मासूमियत से
हवाओं को नहीं होता सरोकार दिए की मासूमियत से....
ReplyDeleteसच!!
बहुत सुन्दर..
अनु
वाह रे दुनिया
ReplyDeleteकल 09/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
इस सम्मान के लिये बहुत-बहुत आभार
Deleteबहुत गहरी पंक्तियाँ लिखी हैं आपने. धन्यवाद इस रचना के लिए.
ReplyDeleteअपना अपना धर्म है ... अपना कर्म है ...
ReplyDeleteये लड़ाई तो सदियों से चली आ रही है ... गहन भाव लिए रचना ...
हवाओं का कब सरोकार रहा है दीपों से । बहुत खूब । देखिये हम आ भी गए ।
ReplyDeleteअनवरत अबाधित बहती जाने वाली हवाओं कब होता है सरोकार दिये की मासूमियत से।
ReplyDeleteबहुत सुंदर मार्मिक।
दीदी बहुत खूब मज़ा आ गया.....पर लगता आप मेरे ब्लॉग का पता भूल गयी....
ReplyDeleteकभी आइये देख जाइए काफी सारा कूड़ा-कर्कट जमा हो गया हैं....!!
खामोशियाँ
यही दुनिया है शिखाजी ..बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत गहरे भाव , दुनियां अपने रफ़्तार से ही चलती है , किसी की मासूमियत या बेछार्गी के लिए ठहरती नहीं ..
ReplyDeleteअपना अपन फ़र्ज़... अपना अपना कर्म. सुन्दर रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteWaah
ReplyDelete