आँसू ..... एक सैलाब
हदों में उफनता बिलखता
या सेहरा में ....भटका समंदर
पत्थर पे सर पटकना
लहरों का बिखरना
सब है देखा-भाला
वेदना ....सुलगी लकड़ी
भीगे ख्यालों से नम
न जलती है ...न बुझ पाती
गीली लकड़ी का जलना
पल-पल सुलगना
सब है देखा-भाला
हदों में उफनता बिलखता
या सेहरा में ....भटका समंदर
पत्थर पे सर पटकना
लहरों का बिखरना
सब है देखा-भाला
वेदना ....सुलगी लकड़ी
भीगे ख्यालों से नम
न जलती है ...न बुझ पाती
गीली लकड़ी का जलना
पल-पल सुलगना
सब है देखा-भाला
दिलासा ....महीन शब्द
महज़ एक उलझन
सुलझाओ तो ...हो जाते हैं तार-तार
अर्थ हो गये हैं ग़ुम
रिश्तों का चेहरा
सब है देखा-भाला
बहुत सुंदर रचना ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteयशोदा जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने रचना को मान दिया
ReplyDeleteशुभ-कामनायें
बहुत ही कोमल, भावपूर्ण रचना..
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