'हर सपना साकार हो सकता है '
सचमुच ???
अभी जा कर पूछती हूँ .....
उन माँओं से ....
सत्य का पाठ पढ़ाकर
जीवन संग्राम में उतार आयीं जो
....अपनी संतानों को
और बदले में पाये अस्थि के फूल ...
सत्य की विजय के वादे
असत्य से ....
पूछती हूँ कलावतियों से ....
भलाई का संकल्प लिये
जो उतर पड़ीं समाज की कीचड़ में
नहीं उबर पातीं लेकिन
किसी भी सदी में
उस दलदल से ....
पूछती हूँ उन स्त्रीयों से
जो हस्तांतरित कर दी जाती है
पिता से पति तक
अधिकार विहीन
मर्यादित कर्तव्य में लिपटी
संस्कृति की डोर से
क्या सचमुच हर सपना
साकार हो सकता है ???
चाहती हूँ यकीन कर लेना
इस सपने पर ...
पर नहीं ...
यथार्थ का अट्टाहास
कुछ और ही समझाता है
हर सपना साकार कहाँ हो पाता है !!!
सचमुच ???
अभी जा कर पूछती हूँ .....
उन माँओं से ....
सत्य का पाठ पढ़ाकर
जीवन संग्राम में उतार आयीं जो
....अपनी संतानों को
और बदले में पाये अस्थि के फूल ...
सत्य की विजय के वादे
असत्य से ....
पूछती हूँ कलावतियों से ....
भलाई का संकल्प लिये
जो उतर पड़ीं समाज की कीचड़ में
नहीं उबर पातीं लेकिन
किसी भी सदी में
उस दलदल से ....
पूछती हूँ उन स्त्रीयों से
जो हस्तांतरित कर दी जाती है
पिता से पति तक
अधिकार विहीन
मर्यादित कर्तव्य में लिपटी
संस्कृति की डोर से
क्या सचमुच हर सपना
साकार हो सकता है ???
चाहती हूँ यकीन कर लेना
इस सपने पर ...
पर नहीं ...
यथार्थ का अट्टाहास
कुछ और ही समझाता है
हर सपना साकार कहाँ हो पाता है !!!
यथार्थ सच में बहुत कड़वा ,,,,,
ReplyDeleteसुन्दर रचना
सादर !
मजबूरन यथार्थ के इसी सच्चाई में जीना पड़ता है,,,,
ReplyDeleteRecent post: होरी नही सुहाय,
एक कडुवे सच को बयान करती रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग मैं भी सम्मलित हों
jyoti-khare.blogspot.in
कटु लेकिन सत्य । फिर भी सपने देखने होंगे और उन पर यकीन भी करना होगा । बहुत ही सच्ची सी कविता शिखा जी ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रेरणा दायक अभिव्यक्ति ...........उम्दा पंक्तियां
ReplyDeleteहै तो कडुवा सच ... पर फिर भी सपने को बुझाना तो नहीं होता ... देखना बंद तो नहीं करना होता ...
ReplyDeleteगहरी संवेदना लिए रचना ..
ReplyDeleteदिनांक 14/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
इस पोस्ट को 'नयी-पुरानी हलचल' में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteshikha bahut sunder rachna vaise to tumhari rachnaye khoobsurat hi hoti hain ...yathart ka satya to katu hi hai ..bahut sara sach lie hue ye rachna bahut achi lagi mujhe...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है.
ReplyDeleteकटु यथार्थ की बहुत सशक्त अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसटीक और सार्थक ...
ReplyDeleteआप भी पधारो स्वागत है ....
http://pankajkrsah.blogspot.com
यथार्थ यथार्थ ही होता है,जिसे सहन करना कठिन है
ReplyDeleteशिखा. बहुत ज्यादा की उम्मीद है आप से. जिस सुर में आपने रचना रची है वो सुर बड़ा छलिया है -धुएं की तरह फ़ैल जाता है जबकि इस विषय को तीर जैसा सुर चाहिए- वेधक और चोट करने वाला.
ReplyDeleteyatharth ke dharaatal par likhi gayi sarthak rachna...Nari ke peeda ka machan..sudar aur sarthak shabdon men..bahut bahut badhaai is rachna ke liye.
ReplyDeletebehtren-**
ReplyDeleteबहुत कड़वा सच ,सशक्त अभिव्यक्ति
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