Thursday 26 September 2013

एक कविता लिखनी है...


शब्द ...गहरे अर्थों वाले
भाव ...कुछ मनचले से
श्वास भर समीर ......चंचल महकी
सफेद चंपा ......कुछ पत्तियाँ पीली
एक राग मल्हार
एक पूस की रात
घास ...तितलियाँ
बत्तख ...मछलियाँ
फूलों के रंग ...वसंत का मन
तड़प ...थोड़ी चुभन
स्मृति की धडकन
एक माचिस आग
एक मुठ्ठी राख
एक टुकड़ा धूप
चाँद का रुपहला रूप
सब बाँधा है आँचल में
और हाँ ...एक सितारा
बस एक ...अपने नाम का
टाँका है अपने गगन में

रुको ! कुछ स्वार्थ भी भर लूँ
.....संवेदना के भीतर
एक कविता जो लिखनी है मुझे ...
अपने ऊपर- 
 

20 comments:

  1. वाह बहुत खूब ...शब्दों का ये साथ यूँ ही बना रहें

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  2. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  3. शब्द से शब्द मिलकर भाव को गति देता है गति बनता रहे
    नई पोस्ट साधू या शैतान
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  4. आखिर लिखी गयी कविता .... बहुत सुंदर

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  5. सुन्दर सृजन भावों का .

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  6. आपके मन के भीतर कितना अपरिमित सौन्दर्य छिपा है न..अब तो सारा जहाँ जान गया...

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  7. सुन्दर सृजन शब्द से शब्द मिलकर लिखी गयी कविता ,,,,वाह

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  8. सुन्दर उपमा एवं अलंकारों से सुसज्जित कविता .. कविता तो आप लिख चुकि, लिखना बाकी नहीं है..

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  9. बहुत भावपूर्ण, शुभकामनाएँ!

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  10. वाह...तब तो यकीनन कविता दिल में उतर जाएगी ...!

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  11. खूबसूरत कविता होने वाली है ये ... बहुत ही भावपूर्ण ...

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  12. बेजोड़ काव्य रचना ..... बहुत सुंदर

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  13. kuchh alag si kavita bhawon se praripurn ...

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  14. बहुत सुंदर और उम्दा अभिव्यक्ति...बधाई...

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