अक्सर बादलों को उड़ते देखा है......कभी रोकना चाहा तो रुके नहीं अपनी धुन
में मग्न दूर जाते रहे.....कभी मेरे चुप रहने पर भी गरजते बरसते रहे......
ये बादल बड़े अजीब हैं...
घिर आते हैं....दूर तलक
और लौट जाते फिर
बिन बरसे ही.......
ये बादल बड़े अजीब हैं...
रस्ता भटक.....चले आते
बे-मौसम बरस जाते
बिन गरजे ही.........
ये बादल बड़े अजीब हैं...
घिर आते हैं....दूर तलक
और लौट जाते फिर
बिन बरसे ही.......
ये बादल बड़े अजीब हैं...
रस्ता भटक.....चले आते
बे-मौसम बरस जाते
बिन गरजे ही.........
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ReplyDeletenature ke kareeb paati hu mai hamesha khud ko isliye in ghumadte baadlo ki aawaj sunai pad rahi hai tumhari kavita mei..bahut khoob shikha
ReplyDeleteek najar idhar bhi :-) Os ki boond: खट्टे सवाल मीठे जवाब ....