ज़हर है शिराओं में
शब्द आग-आग है
कलम के सिरों पे अब
धधक रही मशाल है
रूह की बेचैनियाँ
स्याह रंग बदल रहीं
चल रही कटार सी
लिए कई सवाल है
ध्वस्त हैं संवेदना
लोटती अंगार पे
अर्थ हैं ज्वालामुखी
लावे में उबाल है
स्वप्न चढ़ चले सभी
वेदना की सीढ़ियाँ
नज़्म के उभार में
लहू के भी निशान हैं
बस्तियाँ उम्मीद की
जल रहीं धुँआ-धुँआ
छंद-छंद वेदना
प्रलाप ही प्रलाप है
उभर रहीं हैं धारियाँ
पाँत-पाँत घाव सी
बूँद-बूँद स्याही में
जाने क्या प्रमाद है
शब्द आग-आग है
कलम के सिरों पे अब
धधक रही मशाल है
रूह की बेचैनियाँ
स्याह रंग बदल रहीं
चल रही कटार सी
लिए कई सवाल है
ध्वस्त हैं संवेदना
लोटती अंगार पे
अर्थ हैं ज्वालामुखी
लावे में उबाल है
स्वप्न चढ़ चले सभी
वेदना की सीढ़ियाँ
नज़्म के उभार में
लहू के भी निशान हैं
बस्तियाँ उम्मीद की
जल रहीं धुँआ-धुँआ
छंद-छंद वेदना
प्रलाप ही प्रलाप है
उभर रहीं हैं धारियाँ
पाँत-पाँत घाव सी
बूँद-बूँद स्याही में
जाने क्या प्रमाद है