Friday 25 October 2013

अनबूझा प्रश्न



वो शब्द अलंकार
जिन्होंने गढ़ी
प्रेम की परिभाषा
मेरे तुम्हारे बीच
मेरी कल्पना थी
कविता थी
या ...थे तुम

स्वप्नों का ब्रह्मांड
जिसमें पूरक ग्रहों से
करते रहे परिक्रमा
मैं और तुम
मेरी कल्पना है
कविता है
या हो तुम

काल से चुराया एक पल
जिसको पाकर
बढ़ गयी जिजीविषा
मुझमें ... तुम में
मेरी कल्पना है
कविता है
या हो तुम